मैंने सबकुछ पाया दाती,
तेरा दर्शन पाना बाकी है,
मेरे घर में कोई कमी नहीं,
बस तेरा आना बाकी है,
मैंने सब कुछ पाया दाती,
तेरा दर्शन पाना बाकी है।।
जो मेरे घर में आओ माँ,
मेरा घर तीरथ बन जाएगा,
मैं भी तर जाऊँगा मैया,
जो आएगा तर जाएगा,
इज्जत शोहरत दौलत तो मिली,
मेहरों का खज़ाना बाकी है,
मैंने सब कुछ पाया दाती,
तेरा दर्शन पाना बाकी है।।
हर मुराद पूरी होती है,
माँ तेरे ही दरबार में,
तेरे दर जैसा नहीं देखा,
नहीं दर कोई संसार में,
दर दर की ठोकर खाई है,
बस तेरा ठिकाना बाकी है,
मैंने सब कुछ पाया दाती,
तेरा दर्शन पाना बाकी है।।
भक्त तेरे भोले भाले,
माँ तेरे शुक्र गुजार है,
तेरी कृपा से सबको मिली,
मिली खुशियाँ अपरम्पार है,
तर गए लाखों माँ भक्त तेरे,
सेवादार दीवाना बाकी है,
मैंने सब कुछ पाया दाती,
तेरा दर्शन पाना बाकी है।।
मैंने सबकुछ पाया दाती,
तेरा दर्शन पाना बाकी है,
मेरे घर में कोई कमी नहीं,
बस तेरा आना बाकी है,
मैंने सब कुछ पाया दाती,
तेरा दर्शन पाना बाकी है।।
स्वर – श्री नरेंद्र चंचल जी।