बाबा मेरी बेटी को,
बस ऐसा परिवार मिले,
जहाँ तेरा कीर्तन हो,
और जहाँ तेरी ज्योत जले।।
तर्ज – बाबुल का ये घर।
बड़े नाजों से पाला है,
कलेजे के टुकड़े को,
कैसे नजरों से दुर करुँ,
इस चाँद जैसे मुखड़े को,
आँसु आँखों में ना आये कभी,
इसे ऐसा घरबार मिले।।
बाबुल भी तु ही है,
और माँ भी तु ही है,
चुनड़ी उढ़ाना इसे,
अब भाई भी तु ही है,
सिर पे हाथ रहे तेरा,
बस ऐसा उपहार मिले।।
मैं दुनिया में रहूँ ना रहूँ,
यह रिश्ता निभा देना,
कमी मेरी कभी इसको,
‘केशव’ आने नही देना,
याद आये कभी ना मेरी,
बाबा ऐसा तेरा प्यार मिले।।
बाबा मेरी बेटी को,
बस ऐसा परिवार मिले,
जहाँ तेरा कीर्तन हो,
और जहाँ तेरी ज्योत जले।।
गायक – सुनील शर्मा / अनीता तंवर
लेखक – मनीष शर्मा
(9854429898)