भाया किराया की झोपड़ी,
थोड़ा दिन की,
मत कर बाता भाया,
भोला मन की,
भोला मनकी रे भाया,
भोला मनकी रे,
भाया भोला मनकी।।
दुनिया सारी झुठा सपना,
कोई नहीं दिखे जग में अपना,
खरा हरि नाम है माया उनकी,
मतकर बाता भाया,
भोला मन की।।
उड़ता पंछी ये जीव जोगी,
नहीं ठकाणो ये वन भोगी,
भाया बणजा कोयल थुं वनकी,
मतकर बाता भाया,
भोला मन की।।
इण काया में जीवन ज्योति,
कोल ख़त्म विया यमपुर जाती,
तन झोपड़ी देखो दिखत की,
मतकर बाता भाया,
भोला मन की।।
यमपुर माहीं लेखों लेसी,
धर्म-कर्म किया वटे मण्ड जासी,
वटे न्याव तराजु तकड़ी की,
मतकर बाता भाया,
भोला मन की।।
किशना जी समझावे ‘रतन’,
राम नाम को करले मंजन,
भव पार उतारे नैया अटकी,
मतकर बाता भाया,
भोला मन की।।
भाया किराया की झोपड़ी,
थोड़ा दिन की,
मतकर बाता भाया,
भोला मन की,
भोला मनकी रे भाया,
भोला मनकी रे,
भाया भोला मनकी।।
गायक व रचना – पंडित रतनलाल प्रजापति।
निर्देशक – किशनलाल जी प्रजापत।