बाबा महाकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है,
मैं भी दर पे आया हूँ,
छोड़कर जमाना है।।
तर्ज – तुम तो ठहरे।
दर्श मुझको दे देना,
आस ये लगी दिल में,
दर्श मैंने माँगा है,
माँगा ना खजाना है,
बाबा महांकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है।।
बाबा तीनो लोको में,
तेरा लोक है भारी,
महाकाल लोक तेरा,
सबसे सुहाना है,
बाबा महांकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है।।
आके तेरी चौखट पे,
‘प्रेमी’ हो गया पागल,
महाकाल मंदिर में,
अब मेरा ठिकाना है,
बाबा महांकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है।।
बाबा महाकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है,
मैं भी दर पे आया हूँ,
छोड़कर जमाना है।।
गायक – शुभम प्रजापत।
7999733255