गुरुवर मेरी ओर,
अपनी नजरिया रखियो।।
मेरी तामसी काया,
ज्ञान नहीं पाया,
तन में छिपो चोर,
अपनी नजरिया रखियो,
गुरुवर मेरीं ओर,
अपनी नजरिया रखियो।।
मैं तो गूढ़ अज्ञानी,
भक्ति नहीं जानी,
तन में छिपो चोर,
अपनी नजरिया रखियो,
गुरुवर मेरीं ओर,
अपनी नजरिया रखियो।।
गुरु जी भूल मति जइयो,
चले तुम अइयो,
सुमिरत भई देर,
अपनी नजरिया रखियो,
गुरुवर मेरीं ओर,
अपनी नजरिया रखियो।।
गुरुवर मेरी ओर,
अपनी नजरिया रखियो।।
सरस कथावाचक – शुभम् शास्त्री।
8081654490