बाजे झालर शंख नंगाड़ा ये,
सगरा मां जगदम्बा,
थारा मंदिर माहीं ये,
मंदिर माहीं ये भवानी,
मंदिर माहीं ये।।
नौमी नोरतां मेलों लागे,
माता जी चौकान,
दुर-दुर सुं आवे जातरी,
करता मां गुण गान,
भीड़ा भगतां की या लागी ये,
सगरा मां जगदम्बा,
थारा मंदिर माहीं ये।।
दुःखिया-सुखिया शरणे आवे,
चरणां सिश नमावे,
बाजड़लिया ने बेटो देवे,
पालणिया बंधावे,
माता जय जय कारी लागी ये,
सगरा मां जगदम्बा,
थारा मंदिर माहीं ये।।
हरिया हरिया धोकड़िया में,
मोर पपीया बोले,
कोयलिया की मिठी वाणी,
मनड़ो म्हारो डोले,
देखत महिमा प्यारी लागी ये,
सगरा मां जगदम्बा,
थारा मंदिर माहीं ये।।
‘रतन’ बालक शरणे आकर,
अरजी या सुणावे,
भजन भाव में बैठो माता,
महिमा थारी गावे,
भव सुं नैया म्हारी तराणी ये,
सगरा मां जगदम्बा,
थारा मंदिर माहीं ये।।
बाजे झालर शंख नंगाड़ा ये,
सगरा मां जगदम्बा,
थारा मंदिर माहीं ये,
मंदिर माहीं ये भवानी,
मंदिर माहीं ये।।
गायक व रचना – पं. रतनलाल प्रजापति।
सहयोगी – श्रीप्रजापति मण्डल चौगांवडी़।