हे देवी मैया धीर धरैया,
तेरे सिवा माँ जग में,
कौन सुनेगा हमारी,
मैया आस बंधी है तुम्हारी,
हे जग जननी हे जन्म संगिनी,
लाई है माँ तू ही जग में,
सबकी तु पालनहारी,
मैया आस बंधी है तुम्हारी।।
जब तक है ये जीवन,
करती रहूं तेरी सेवा भजन,
दुख दूर करें तेरा दर्शन,
तेरे पग छु के मन होता प्रसन्न,
तू तो सब जाने क्या तुझसे छुपाऊं,
तुझे न सुनाऊँं तो किसे सुनाऊँ,
सुख दुख की ये बतियां सारी,
कौन सुनेगा हमारी मैया,
आस मां एक तुम्हारी।।
सुमर सुमर तुझे दिन गुजरे,
धर्म डगर से न मन उतरे,
ज्योति अखंड तेरी मै जलाऊँ,
भक्ति की रीत माँ नित मै निभाऊँ,
जैसी है माँ तु सदा सुहागन,
खिलता रहे सदा हर घर आँगन,
ममता के सब हैँ पुजारी,
तेरी महिमा पे जग बलिहारी,
तू तो देवों की तारण हारी,
मैया आस बंधी है तुम्हारी।।
हे देवी मैया धीर धरैया,
तेरे सिवा माँ जग में,
कौन सुनेगा हमारी,
मैया आस बंधी है तुम्हारी,
हे जग जननी हे जन्म संगिनी,
लाई है माँ तू ही जग में,
सबकी तु पालनहारी,
मैया आस बंधी है तुम्हारी।।
स्वर – तृप्ति शाक्या
रचना – कामेश्वर सिंह ठाकुर।
9131843199