मन होजा दीवाना रे,
राम जी के चरणों में,
राम चरणों में,
राम चरणों में,
मन हो जा दीवाना रे,
राम जी के चरणों में।।
राम नाम अमृत का प्याला,
पी करके इसे बन मतवाला,
सारा जीवन बिताना रे,
राम जी के चरणों में,
मन हो जा दीवाना रे,
राम जी के चरणों में।।
राम नाम सा नाम नहीं है,
अवधपुरी जैसा धाम नहीं है,
प्राणी सुख का खजाना रे,
राम जी के चरणों में,
मन हो जा दीवाना रे,
राम जी के चरणों में।।
प्रेम के भूखे है रघुनंदन,
भक्ति के बस में है भवभंजन,
तुम भी भक्ति बढ़ाना रे,
मन हो जा दीवाना रे,
राम जी के चरणों में।।
मन होजा दीवाना रे,
राम जी के चरणों में,
राम चरणों में,
राम चरणों में,
मन हो जा दीवाना रे,
राम जी के चरणों में।।
लेखक / गायक – हरिवंश प्रताप।
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