श्री बालाजी हनुमान,
की भक्ति का क्या कहना,
श्री राम जी की सेवा को,
बनाया है गहना,
बनाया है गहना,
पहना ये गहना,
श्री बाला जी हनुमान,
की भक्ति का क्या कहना।।
राम नाम का है वो मतवाला,
हर पल जपे राम जी के माला,
बसें इनके हृदय में श्री राम,
इनका का क्या कहना,
श्री बाला जी हनुमान,
की भक्ति का क्या कहना।।
राम जी का बनके दूत निराला,
लंका में जा के जिसने डेरा डाला,
रावण हो गया परेशान,
इनका क्या कहना,
श्री बाला जी हनुमान,
की भक्ति का क्या कहना।।
लक्ष्मण को जब मूर्छा आई,
तब हनुमत ही बने सहाई,
संजीवनी से बचे प्राण,
इनका क्या कहना,
श्री बाला जी हनुमान,
की भक्ति का क्या कहना।।
सेवा सुमिरन उनको है भाता,
इसके सिवा कुछ नहीं सुहाता,
‘श्याम’ जपे वो राम का नाम,
इनका का क्या कहना,
श्री बाला जी हनुमान,
की भक्ति का क्या कहना।।
श्री बालाजी हनुमान,
की भक्ति का क्या कहना,
श्री राम जी की सेवा को,
बनाया है गहना,
बनाया है गहना,
पहना ये गहना,
श्री बाला जी हनुमान,
की भक्ति का क्या कहना।।
स्वर/लेखन – घनश्याम मिढ़ा।
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