गजब तेरा नूर नूरानी,
मेरा दिल देख हुआ पानी।।
लगा तेरे इश्क का झोला,
मेरा दिल सख्त गला ओला,
जबां से अनलहक्क बोला,
नूर में मिला नूर मोला,
गजब तेरा नुर नुरानी,
मेरा दिल देख हुआ पानी।।
दिखाया तूने वेदत का दरिया,
जिधर देखूं उधर भरिया,
कहीं पर राह नहीं पाया,
तूने बिना आब डुबाया,
गजब तेरा नुर नुरानी,
मेरा दिल देख हुआ पानी।।
किया तूने मुझे बेदम,
रहा नहीं खुदी खुदा का गम,
दुई एकता नहीं गुफ़्तगू,
जुबां मेरी कर सके नहीं चूँ,
गजब तेरा नुर नुरानी,
मेरा दिल देख हुआ पानी।।
बयां सब ज्ञानी कर थाका,
मिला नहीं वो तेरा नाका,
‘अचलराम’ अथा अथाका,
सायर सब कर चुके हाका,
गजब तेरा नुर नुरानी,
मेरा दिल देख हुआ पानी।।
गजब तेरा नूर नूरानी,
मेरा दिल देख हुआ पानी।।
गायक – राधेश्याम शर्मा।
रचना – स्वामी अचलराम जी महाराज।
प्रेषक – सांवरिया निवाई।
मो. – 7014827014