मुसाफिर जागते रहना,
नगर में चोर आते है,
जरा सी नींद गफलत में,
झपट गठरी उठाते है,
मुसाफिर जागतें रहना,
नगर में चोर आते है।।
संभालो माल अपने को,
बांधकर धर सिरहाने में,
जरा सी नींद गफलत में,
झपट गठरी उठाते है,
मुसाफिर जागतें रहना,
नगर में चोर आते है।।
कपट का है यहाँ चलना,
सभी व्यापार दिन राती,
दिखाकर सूरते सुंदर,
जाल में यह फसाते है,
मुसाफिर जागतें रहना,
नगर में चोर आते है।।
कभी किसी का नहीं करना,
भरोसा इस जमाने में,
लगाकर प्रीत मतलब से,
ये हर पल में हटाते है,
मुसाफिर जागतें रहना,
नगर में चोर आते है।।
ठिकाना है नहीं करना,
किसी का इस सराय में,
वो ‘ब्रह्मानन्द’ दिन दिन में,
सभी चल चल कर जाते,
मुसाफिर जागतें रहना,
नगर में चोर आते है।।
मुसाफिर जागते रहना,
नगर में चोर आते है,
जरा सी नींद गफलत में,
झपट गठरी उठाते है,
मुसाफिर जागतें रहना,
नगर में चोर आते है।।
Singer – Upasana Mehta