बिगड़ा नसीब किसने,
संवारा तेरे बगैर,
हम बेबसों का कौन,
सहारा तेरे बगैर।।
बे-आसरों का आसरा,
एक तुम ही श्याम हो,
दीनो ने कब किसी को,
पुकारा तेरे बगैर,
बिगडा नसीब किसने,
संवारा तेरे बगैर।।
दुनिया ने जख्म दिल को,
दिए है जो बेशुमार,
किसने दिया है दर्द का,
चारा तेरे बगैर,
बिगडा नसीब किसने,
संवारा तेरे बगैर।।
तुझे भूल जाऊं श्याम ये,
गवारा नहीं मुझे,
होता नहीं है अब तो,
गुजारा तेरे बगैर,
बिगडा नसीब किसने,
संवारा तेरे बगैर।।
बिगड़ा नसीब किसने,
संवारा तेरे बगैर,
हम बेबसों का कौन,
सहारा तेरे बगैर।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र बिहारी दास जी महाराज।