पित्रो की महिमा भारी,
कुल के जो है हितकारी,
हम सब उतारे थारी आरती,
ओ दादा मिलकर उतारे थारी आरती।।
तर्ज – अम्बे तू है जगदम्बे काली।
आप ही घर के रक्षक हो,
और आप ही दाता विधाता,
पुत्र और पौत्रों से आपका,
जन्म जन्म का नाता,
ज्योत जगाके तुम्हारी,
सेवा पुगाके सारी,
हम सब उतारे थारी आरती,
ओ दादा मिलकर उतारे थारी आरती।।
श्वेत वस्त्र और श्वेत ध्वजा,
तुमको दादा भाए,
श्रद्धा सुमन पूजन वंदन,
हम तर्पण करने आए,
कुल की करना रखवारी,
चरणों में अर्ज़ गुज़ारी,
हम सब उतारे थारी आरती,
ओ दादा मिलकर उतारे थारी आरती।।
जब जब दुख संकट आवे तो,
तुम ही बने सहाई,
दुःख विपदा में नाम आपका,
सदा रहे सुखदाई,
दर्शन थारे मंगलकारी,
जाउँ तुमपे बलिहारी,
हम सब उतारे थारी आरती,
ओ दादा मिलकर उतारे थारी आरती।।
अपने कुल पर नज़र मेहर की,
सदा बनाए रखना,
‘प्रिंस जैन’ की विनती दादा,
कृपा बनाए रखना,
सुन लीजै अर्ज़ हमारी,
कोई ना रहे दुखारी,
हम सब उतारे थारी आरती,
ओ दादा मिलकर उतारे थारी आरती।।
पित्रो की महिमा भारी,
कुल के जो है हितकारी,
हम सब उतारे थारी आरती,
ओ दादा मिलकर उतारे थारी आरती।।
गायक / प्रेषक – प्रिंस जैन।
7840820050