जीवन निखारे श्याम हमारे,
दीन दुखी के काज सँवारे,
जीवन निखारें श्याम हमारे।।
तर्ज – दो दिल टूटे दो दिल हारे।
मन के कमल मुस्काए,
सँग में तुम्हारी है दुआएँ,
दया का भिखारी हूँ मैं,
तेरे दर से खिलती है आशाएँ,
अब क्या करेगें बुरे दिन बेचारे,
जीवन निखारें श्याम हमारे।।
करुणा के सागर हो तुम,
जग में उजागर तेरा नाम है,
दया हो तुम्हारी हम पर,
मिलने को आवौ छौटौ काम है,
जन्म सुधारों बालक तुम्हारे,
जीवन निखारें श्याम हमारे।।
दुनिया की ठोकर खाई,
जब भी हुआ हूँ बेसहारा,
माया के रँग में उलझा,
चिन्ता फिकर ने हमें मारा,
जीवन महकाया जब भी पुकारे,
जीवन निखारें श्याम हमारे।।
खाली गया जो दर से,
होगी हँसाई तेरे नाम की,
कहता है मीरा मण्डल,
ऐसी लगन भी किस काम की,
आशा में डुबे नयन हमारे,
जीवन निखारें श्याम हमारे।।
जीवन निखारे श्याम हमारे,
दीन दुखी के काज सँवारे,
जीवन निखारें श्याम हमारे।।
प्रेषक – विनोद कुमार।
श्री श्याम मीरा मण्डल दिल्ली।
8851069337