मेरे बाबोसा का,
जिसके सर पे हाथ है,
उन भक्तो के घर,
खुशियो की बरसात है,
ये रहता सदा,
अपने भक्तों के साथ है,
सर पे हाथ है,
फिर क्या बात है,
मेरें बाबोसा का,
जिसके सर पे हाथ है,
उन भक्तो के घर,
खुशियो की बरसात है।।
तर्ज – कब तक चुप बैठे।
जब जब गमों ने डाला,
मेरी जिंदगी में डेरा,
खुशियो का लेकर आया,
बाबोसा नया सवेरा,
हर कदम पे जिसने,
दी मुझको सौगात है,
सर पे हाथ है,
फिर क्या बात है,
मेरें बाबोसा का,
जिसके सर पे हाथ है,
उन भक्तो के घर,
खुशियो की बरसात है।।
दर दर की ठोकर खाकर,
चूरू में जब भी आया,
आकर तेरी शरण में,
बिन मांगे सब कुछ पाया,
जिनकी कृपा से,
रोशन दिन और रात है,
सर पे हाथ है,
फिर क्या बात है,
मेरें बाबोसा का,
जिसके सर पे हाथ है,
उन भक्तो के घर,
खुशियो की बरसात है।।
सारे जग के पालनहार,
मुझे बाबोसा मिले,
अब शिकवा ना ही शिकायत,
और ना है कोई गिले,
अब क्या चिंता ‘दिलबर’,
बाबोसा साथ है,
सर पे हाथ है,
फिर क्या बात है,
मेरें बाबोसा का,
जिसके सर पे हाथ है,
उन भक्तो के घर,
खुशियो की बरसात है।।
मेरे बाबोसा का,
जिसके सर पे हाथ है,
उन भक्तो के घर,
खुशियो की बरसात है,
ये रहता सदा,
अपने भक्तों के साथ है,
सर पे हाथ है,
फिर क्या बात है,
मेरें बाबोसा का,
जिसके सर पे हाथ है,
उन भक्तो के घर,
खुशियो की बरसात है।।
गायिका – श्रीमति पूजा व्यास।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365