बम बम करता भोला,
आया नन्द द्वार पे,
आया नन्द द्वार पे,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
तर्ज – सौ साल पहले।
सुन अलख अलख की टेर,
यशोदा बाहर आई है,
वो भर मोतियन को थाल,
भिक्षा ले बाहर आई है,
भिक्षा लेके जाओ बाबा,
सोया मेरा लाल है,
सोया मेरा लाल है,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
मैं भिक्षा का नहीं भूखा,
मैया सुनले अर्जी मेरी,
तेरे लाल के दरश करादे,
मैया हो रही मुझको देरी,
श्याम के दर्शन बिना,
जिया बेकरार है,
जिया बेकरार है,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
तुझे लाला के दरश करा दूँ रे,
क्या मुख से बकता है,
तेरी देख भयानक सूरत से,
डर मुझको लगता है,
कंस का भेजा छलिया,
आया मेरे द्वार पे,
आया मेरे द्वार पे,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
बिन दरश किए नहीं जाऊं,
माता पक्की विचारी है,
तेरे लाला से सुनले मैया,
मेरी यारी पुराणी है,
लिनी फकीरी मैं,
इसी के नाम पे,
इसी के नाम पे,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
अरे मोहन मीत पुराना,
क्या तू बात बनाता है,
तू है बूढ़ा बाबा,
मेरा कंवर कन्हैया है,
जाके जंगल में बाबा,
गुण गाओ राम के,
गुण गाओ राम के,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
ये सुनकर शंकर समझ गए,
वो हरि गुण गाने लगे,
अब भीतर सोए मोहन,
चमक के नींद से जागे,
दौड़ी आई माता यशोदा,
कर रही प्यार है,
कर रही प्यार है,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
कर लाख जतन वो हारी,
मोहन एक नहीं माने,
आखिर हो लाचार,
वो लाई शिव रे आगे,
हंसने लगे है गिरधर,
धर मस्त ध्यान में,
धर मस्त ध्यान में,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
ये देख यशोदा बोली,
बाबा गुस्सा ना करियो,
मैं तो ले आई मेरे लाल को,
तुम दर्शन करियो,
शंकर ने खोली पलके,
दर्श भगवान के,
दर्श भगवान के,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
बम बम करता भोला,
आया नन्द द्वार पे,
आया नन्द द्वार पे,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के,
दरश करा दे मैया,
तेरे नन्दलाल के।।
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स्वर – रमेश दाधीच।