क्यों घबराए श्याम के होते,
क्यों मन ही मन रोता है,
साँवरिये का प्रेमी होकर,
क्यों तू धीरज खोता है,
क्यूँ घबराए श्याम के होते,
क्यूँ मन ही मन रोता है।।
आया समय भी कट जाएगा,
थोड़ा सा तो धीरज धर,
काहे घबराता है पगले,
तेरे साथ ये लीलाधर,
हर अंधियारी रात के आगे,
नया सवेरा होता है,
क्यूँ घबराए श्याम के होते,
क्यूँ मन ही मन रोता है।।
श्याम की लीला वो ही जाने,
तेरे बस की बात नही,
इसकी रजा को समझ सके तू,
उतनी तेरी औकात नही,
इतना समझ ले श्याम राज में,
सब कुछ अच्छा होता है,
क्यूँ घबराए श्याम के होते,
क्यूँ मन ही मन रोता है।।
दर्शन होंगे बिन मन्दिर के,
मन की आंखे खोल जरा,
अब तो हार गए हम बाबा,
इक बार हार के बोल जरा,
‘राजा’ रख विश्वास श्याम का,
श्याम जो चाहे वो होता है,
क्यूँ घबराए श्याम के होते,
क्यूँ मन ही मन रोता है।।
क्यों घबराए श्याम के होते,
क्यों मन ही मन रोता है,
साँवरिये का प्रेमी होकर,
क्यों तू धीरज खोता है,
क्यूँ घबराए श्याम के होते,
क्यूँ मन ही मन रोता है।।
Singer – Raja Purohit