सुरता ज्ञान घोखडे़ चाल,
फुला वाली सेज वीछी,
गुरु बिना मिलें ना ज्ञान,
भजन बिना मुक्ति कसी होजी।।
नहीं है ने़णा माई जोत,
आलसी से गरज कसी,
अरे दीन रेण समान,
भाण भली ऊगो होजी।।
नहीं है देवलिया में देव,
झालर कुटया गरज कसी,
वठे अग्नि लेवें भोग,
वासना पवन जती होजी।।
कांचों खाण्डो हाथ,
रण माई लड़ो मती,
भीड़ पड़ीया भग जाय,
भगतर री गरज कसी होजी।।
थारो डग मग डोले जीव,
जेलों मती हरी भक्ति,
भक्ति सुरा रो काम,
भोग से टलो मती होजी।।
माने मल्यां मच्छिन्दर नाथ,
बोलियां गोरखजती,
कह गया सांची वात,
सेन भाया हाची लिखी होजी।।
सुरता ज्ञान घोखडे़ चाल,
फुला वाली सेज वीछी,
गुरु बिना मिलें ना ज्ञान,
भजन बिना मुक्ति कसी होजी।।
गायक – जगदीश चन्द्र जटिया।
मो. 9950647154
मावली उदयपुर राजस्थान।