जिसमे दबे आत्मा,
वह काम बुरा है,
बद है बुरा बद से भी,
बदनाम बुरा है।।
बद की संगति में कभी,
पांव ना धरो,
एक पल का भी वहां,
कयाम बुरा है,
बद हैं बुरा बद से भी,
बदनाम बुरा है।।
जाम तो वही है जो,
अकल निखार दे,
जो अकल बिगाड़ दे,
वह जाम बुरा है,
बद हैं बुरा बद से भी,
बदनाम बुरा है।।
दिन है काम के लिए,
सोने को रात है,
नींद में कटे जो,
सुबह शाम बुरा है,
बद हैं बुरा बद से भी,
बदनाम बुरा है।।
जिंदगी जहान में,
हरकत का नाम है,
आलसी बनाए जो,
आराम बुरा है,
बद हैं बुरा बद से भी,
बदनाम बुरा है।।
जिसकी जान और,
दिमाग पराधीन हो,
राजमहल में भी वह,
गुलाम बुरा है,
बद हैं बुरा बद से भी,
बदनाम बुरा है।।
लाख सर धुनो हजार,
कोशिशें करो,
‘पथिक’ बूरे काम का,
अंजाम बुरा है,
बद हैं बुरा बद से भी,
बदनाम बुरा है।।
जिसमे दबे आत्मा,
वह काम बुरा है,
बद है बुरा बद से भी,
बदनाम बुरा है।।
गायक – महेश कुमार मोनू।
मो. +91-9264206929