तू ठाढा तेरी शक्ति ठाढी,
भैरव जी बलकारी,
तेरे सेवक पै संकट बैरी,
क्यों पड़ रहया सै भारी।।
तर्ज – मेहन्दीपूर म्ह संकट कटता।
धूप पडी़ चाहे पाला पड़या मनै,
सेवा करी दिन रात तेरी,
करणी का फल आया कोन्या,
लूटगी करी खूभात मेरी,
बिगडी़ जा सै जात मेरी,
इब जिन्दगी लाग्गै खारी,
तेरे सेवक पै संकट बैरी,
क्यों पड़ रहया सै भारी।।
जाग नीन्द तै आँख खोलले,
मतन्या सोवै ओ बाबा,
काया के म्ह संकट बैरी,
तीर चूभोवै ओ बाबा,
तेरी बदनामी होवै हो बाबा,
क्यों ना बात विचारी,
तेरे सेवक पै संकट बैरी,
क्यों पड़ रहया सै भारी।।
भूत प्रेत नै तोड़ण आले,
अकड़ तेरी आज टूटैगी,
करी ना सूणाई मेरी बात पै,
बात या सारै फूटैगी,
साँस मेरी आज छूटैगी,
तेरे दर पै मार कटारी,
तेरे सेवक पै संकट बैरी,
क्यों पड़ रहया सै भारी।।
सतबीर गूरु दयावान ग्यान का,
भरदे मटका खाली हो,
चरणां के म्ह झूक्या गजेन्द्र,
आज राखदे लाली हो,
जीवन म्ह घणी काल्ली हो जब.,
दूख पावै घर बारी,
तेरे सेवक पै संकट बैरी,
क्यों पड़ रहया सै भारी।।
तू ठाढा तेरी शक्ति ठाढी,
भैरव जी बलकारी,
तेरे सेवक पै संकट बैरी,
क्यों पड़ रहया सै भारी।।
लेखक / प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लणीया।
9996800660
गायक – लक्की पिचौलिया।
9034283904