मैं तेरी शरण में आई,
मेरी ज्यान बचादे नै,
ओ लाल लंगोटे वाले,
एक बै गदा घुमा दे नै।।
तर्ज – अफसाना लीख रही हूँ।
मैं घणे दिनां की दुखिया सुं,
मेरा कटता रोग नहीं,
मेरा कटता रोग नहीं,
संकट ने मेरी काया जकड़ी,
चालण जोग नहीं,
चालण जोग नहीं,
सब तरियां दुख मै पागी,
मनै रास्ता दिखा दे नै,
ओ लाल लंगोटे वाले,
एक बै गदा घुमा दे नै।।
संकट बैरी ले ज्यागा,
मनै रुक्के मारै सै,
मने रुक्क मारै सै,
या दुखिया ईब बालाजी,
बस तेरे सहारै सै,
बस तेरे सहारै सै,
सजा दिया दरबार तेरा,
मेरा कष्ट मिटा दे नै,
ओ लाल लंगोटे वाले,
एक बै गदा घुमा दे नै।।
मरी पड़ी सूं बालाजी,
चलै कोई-कोई सांस मेरी,
चले कोई कोई सांस मेरी,
जी लिकड़ण नै होरया सै,
लगी टूटण आश मेरी,
लगी टूटण आश मेरी,
कदे दुनिया आज या छूट जा,
मेरै झाड़ा लादे नै,
ओ लाल लंगोटे वाले,
एक बै गदा घुमा दे नै।।
भगत अमिरचन्द गाँजबड़ आला,
दर पै आया हो,
आज दर पै आया हो,
सुमित स्वामी हरिसिहँपुरिया,
संग म्हआया हो,
संग म्ह आया हो,
सतीश सैणी गुण तेरे गावै,
तु मेहर फिरादे नै,
ओ लाल लंगोटे वाले,
एक बै गदा घुमा दे नै।।
मैं तेरी शरण में आई,
मेरी ज्यान बचादे नै,
ओ लाल लंगोटे वाले,
एक बै गदा घुमा दे नै।।
गायक – सतीश सैणी पानीपत वाले।
लेखक – सुमित स्वामी हरिसिहँपुरिया।
प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लणिया।
9996800660