संकट नै लादी फांसी,
या दुनिया कर री हांसी,
कोई जतन बणादे नै,
लाल लंगोटे आले,
रोग नै काट दिखादे नै,
लाल लंगोटे आले,
रोग नै काट दिखादे नै।।
तर्ज – तू कूण्डी सोटा ठाले।
तेरी आरती लेली बाबा,
कुछ भी चैन पडै़ कोन्या,
पागल कैसा ढंग मेरा,
मनै सारी रात पड़े रोणा,
मेरी जाड़ी भींच जा बाबा,
मेरी नाडी़ रुक जा बाबा,
मेरी जान बचा दे नै,
लाल लंगोटे आले,
रोग नै काट दिखादे नै।।
तेरे जैसा दुनिया म्ह कोए,
और ना संकट काटणीया,
पेशी आवै झूम झूम कै,
कोई नहीं दिल डाटणीया,
मेरे बाबा बन्द लगा दे,
चाहे चार मोगरे प्यादे,
मेरा पिण्ड छूडा़दे नै,
लाल लंगोटे आले,
रोग नै काट दिखादे नै।।
घाटे के म्ह आए पाच्छै,
छिड़ गया रोग पुराणा हो,
जै मेरा संकट नहीं कटया मनै,
पड़ जागा मर जाणा हो,
मनै ना क्यांहे की शोधी,
भूतां नै गेरकै लोहदी,
मनै दास बणाले नै,
लाल लंगोटे आले,
रोग नै काट दिखादे नै।।
‘लक्की शर्मा’ बालाजी तेरा,
खूब करै गुणगान हो,
यो बलराज शामदो आला,
भूल्लै ना एहसान हो,
अशोक भगत पै थारी,
या दया घणी बलकारी,
संकट नै भूलादे नै,
लाल लंगोटे आले,
रोग नै काट दिखादे नै।।
संकट नै लादी फांसी,
या दुनिया कर री हांसी,
कोई जतन बणादे नै,
लाल लंगोटे आले,
रोग नै काट दिखादे नै,
लाल लंगोटे आले,
रोग नै काट दिखादे नै।।
गायक – लक्की शर्मा पिचोलीया।
9034283904
लेखक – अशोक भगत गुहणीया।
प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660