तेरे दरबार आया,
मैं पहली बार आया माँ।।
तर्ज – मै निकला गड्डी लेके।
माँ शेरोवाली ओ भवानी,
माँ वैष्णो महारानी,
तेरे दरबार आया,
मैं पहली बार आया,
आदशक्ति कल्याणी,
छोड़ संसार आया,
मैं पहली बार आया,
छोड़ संसार आया,
तेरे दरबार आया,
तेरे दरबार आया,
मैं पहली बार आया माँ।।
ऊँचे पर्वत लम्बा रस्ता,
मैं देख नहीं माँ घबराया,
जपते जपते जय माता दी,
तेरे कठिन चढ़ाई चढ़ आया,
दे दे दर्शन, हो के परसन,
लाल चुनरी, फूलों का,
मै हार लाया,
मैं पहली बार आया,
छोड़ संसार आया,
तेरे दरबार आया,
मैं पहली बार आया माँ।।
हे अष्ट भुजाओ वाली माँ,
तेरी महिमा जग में न्यारी है,
तेरे पीछे तो भैरव चलता,
आगे बजरंग बलकारी है,
हारे ब्रम्हा, हारे विष्णु,
शंकर ने ओ माता तेरा,
नहीं पार पाया,
मैं पहली बार आया,
छोड़ संसार आया,
तेरें दरबार आया,
मैं पहली बार आया माँ।।
अपने भक्तो की खातिर माँ,
तुम रूप हजारो धरती हो,
जो तेरे दर पे पुकार करे,
उसके कष्टों को हरती हो,
नहीं मेरा माँ कोई साथी,
मैं भी तेरा वरदाती,
हो पाने प्यार आया,
मैं पहली बार आया,
छोड़ संसार आया,
तेरें दरबार आया,
मैं पहली बार आया माँ।।
तेरी चौखट को छोड़ के अब,
ये ‘लख्खा’ किस दर जाए माँ,
और ‘राजपाल’ की बिगड़ी को,
बिन तेरे कोण बनाए माँ,
मैं भटका दर दर में,
बस इक तुझको सारे जग में,
पालनहार पाया,
मैं पहली बार आया,
छोड़ संसार आया,
तेरें दरबार आया,
मैं पहली बार आया माँ।।
माँ शेरोवाली ओ भवानी,
माँ वैष्णो महारानी,
तेरे दरबार आया,
मैं पहली बार आया,
आदशक्ति कल्याणी,
छोड़ संसार आया,
मैं पहली बार आया,
छोड़ संसार आया,
तेरें दरबार आया,
तेरें दरबार आया,
मैं पहली बार आया माँ।।