रूणिचा के मन्दिर,
माथा टेकन जाना स,
भगतो बाँध लो सामान,
मेला देखन जाना स।।
घूम घूम के घूमर घाला,
और बजावा चंग,
भादवा मे जाई मचावा,
मेला मे उड़दग,
मंदरिया रे आगे थाने,
खूब नचानो स,
भगतो बाँध लो सामान,
मेला देखन जाना स।।
बाबा की है बात निराली,
सेठ बडा ही मोटा,
साचे मनसु ध्यान लगाले,
रहे ना धन का टोटा,
खीर चूरमा लाडू बर्फी,
भोग लगाना स,
भगतो बाँध लो सामान,
मेला देखन जाना स।।
एक बरस नें सुनले ताऊ,
दूज का मेला आवे,
बेगा स थे करलो त्यारी,
मत ना देर लगाओ,
थारे सागे मने भी,
रूणिचा जाना स,
भगतो बाँध लो सामान,
मेला देखन जाना स।।
पैदल पैदल जावे भगता,
जे जे कार लगावे,
नाचे गावे ढोल बजावे,
पेटपल्यनया जावे,
संजू सागे दास गोपालो,
नाचे गावे स,
भगतो बाँध लो सामान,
मेला देखन जाना स।।
रूणिचा के मन्दिर,
माथा टेकन जाना स,
भगतो बाँध लो सामान,
मेला देखन जाना स।।
गायक – गोपाल सोनी रतनगढ़।
9982095020