म्हारी आई माता भव तारनी हो,
लियो कलयुग में अवतार,
म्हारी जगदम्बा जग जोगनी हो,
थारी महीमा अपरम्पार,
बिजोवा में आप पधारीया,
डोरा बंध रा भाग जगाया,
धर्म री ध्वजा लहराय आईजी,
मेहर करजो हो,
ओ थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी दर्शन दीजो ओ।।
बिजोवा रे मायने हो,
म्हारी आई माताजी रो धाम,
अरे गोड़वाड़ रे मायने हो,
बिजोवा भले धाम,
आई माताजी वटे बिराजें,
भगतो रा मां कारज साजे,
मै आयो शरन तिहार,
मापर मेहर करजो ओ,
ओ थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी दर्शन दीजो ओ।।
ए दिवान कर्म सिंह जी हो,
पिरोसा कहलाय,
आई माताजी री करी थापना ओ,
अरे बिजोवा रे माय,
आई माताजी रो पाट पुरीयो,
माताजी रो पाट पुरीयो,
रटे आईजी रो नाम,
मापर मेहर करजो ओ,
ओ थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी दर्शन दीजो ओ।।
ए महापुरुष कर्म सिंह जी हो,
करीयो अग्नि स्नान,
विक्रम संवत 1724 हो,
ज्येष्ठ सुदी आ चौथ,
पिरोसा कर्म सिंह जी पिरानी,
वंदना बाई चम्पा घोड़ी ओर मोर,
होया सब सती आय ओ,
थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी किरपा किजो ओ।।
मैया सफेद गादी आपरी हो,
सिद्धी रो परमाण,
ओ आईजी री पिरोसा करे सेवना हो,
कोई बिजोवा रे माय,
भक्तों रे मां हाजर रहीजे,
दुखियों रा दुखड़ा हर लिजे,
जपु तुम्हारो जाप,
मापर मेहर करजो ओ,
ओ थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी दर्शन दीजो ओ।।
जगमग ज्योता जागती हो,
बिजोवा रे माय,
मां अखण्ड ज्योता जागती हो,
कोई केसर पडे अपार,
माही बीज रो मेलो भरीजे,
भादवा री बीज रो मेलो भरीजे,
दर्शन आवे नर नार,
मापर मेहर करजो ओ,
ओ थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी दर्शन दीजो ओ।।
ए वर्तमान दिवान पिरोसा हो,
बिजोवा रे माय,
ए नारायण सिंह जी परमार कहीजे हो,
थाने सिवरे बारम्बार,
आई माताजी री करे सेवना,
माताजी री करे सेवना,
जपे आईजी रो नाम,
मापर मेहर करजो ओ,
ओ थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी दर्शन दीजो ओ।।
ए सीरवी कुल ने तारिया हो,
मैया सबरे घट घट माय,
मैया सीरवी समाज गुण गावता हो,
थारी बोले जय जयकार,
‘मनीष सीरवी’ महीमा बनावे,
भवानी कोलू वालो भावसु गावे,
धरजो सिर पर हाथ,
मापर मेहर करजो ओ,
ओ थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी दर्शन दीजो ओ।।
म्हारी आई माता भव तारनी हो,
लियो कलयुग में अवतार,
म्हारी जगदम्बा जग जोगनी हो,
थारी महीमा अपरम्पार,
बिजोवा में आप पधारीया,
डोरा बंध रा भाग जगाया,
धर्म री ध्वजा लहराय आईजी,
मेहर करजो हो,
ओ थाने नित उठ जोडु हाथ,
आईजी दर्शन दीजो ओ।।
गायक – भवानी सिंह जी राजपुरोहित।
लेखक – मनीष सीरवी।
रायपुर जिला ब्यावर राजस्थान।