श्री रघुवर कोमल,
कमल नयन को,
पहनाओ जयमाला,
पहनाओ जयमाला,
यह पुण्य महूर्त,
स्वर्णिम अवसर,
फिर नहीं आने वाला,
पहनाओ जयमाला।।
दो चार चरण चलते चलते,
श्री रघुवर तक ऐसे पहुंचे,
ज्यों छुईमुई के पल्लव हो,
सिमटे सिमटे सकुचे सकुचे,
सिमटे सिमटे सकुचे सकुचे,
श्री राम चकित चितवे सीता का,
अदभुत रूप निराला,
पहनाओ जयमाला।।
श्री रघुवर कोमल,
कमल नयन को,
पहनाओ जयमाला,
पहनाओ जयमाला,
यह पुण्य महूर्त,
स्वर्णिम अवसर,
फिर नहीं आने वाला,
पहनाओ जयमाला।।
Singer – Shri Ravindra Jain Ji
Upload By – Mukesh Shastri
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