माखन खाग्यो दहिड़ो खाग्यो,
आकोइ मुंडो भरग्यो रे,
छोटा मुंडा को कान्हो,
माखन मारो खाग्यो रे।।
दहि बेचन में जाऊ बरसाणे,
मारग माही आग्यो रे,
मटकी फोड़ न माखन खायो,
माखन मारो खग्यो रे।।
पाणी लेबा जाऊ पनघट पर,
मारग माही आग्यो रे,
गलंगोरीया से गागर फोड़ी,
पाणीड़ो ढलाग्यो रे।।
जमुना जी मै नाबा जाऊ,
लेर सखा ने आग्यो रे,
नागी होकर नाबा लागी,
चीर चुरा कर भाग्यो रे।।
खिड़की खोल ने घर मै बड़ग्यो,
आदी राता आग्यो रे,
छीका से उतारी मटकी,
माखन सारो खग्यो रे।।
पकड़ बन्दीयो मूसल के यो,
हाथे मारे आग्यो रे,
भेष बदल कर ऊबो बणग्यो,
गुज़र डाडी वालो रे।।
मंगनीराम फोखर जी को बेटो,
बाल लिला गाग्यो रे,
गाव जाती गाडरी लोड़ामुआ,
चरण सरण मे आग्यो रे।।
माखन खाग्यो दहिड़ो खाग्यो,
आकोइ मुंडो भरग्यो रे,
छोटा मुंडा को कान्हो,
माखन मारो खाग्यो रे।।
गायक / लेखक – मगनीराम गाडरी।
महुआ खुर्द भीलवाड़ा।
9680818193