पांच पाना रो बिडो बणायो,
भरी सभा में फिरवायो,
ऊण बिडा ने कोई नहीं झेले,
जद हनुमत लियो रे उठाय,
बजरंग बाला जी,
मारो बैडो लगा दिजो पार,
बजरंग बाला जी।।
बिडो ऊठायो मुख में दबायो,
चरणा में शिस नमायो,
कर किलकारी कूद गयो सागर,
पनघट आसन लगाय,
बजरंग बाला जी।।
पाणी री पनिहारी या बोली,
कुण जिनावर आयो,
जीण देश री सीता कहईजे,
वटे रो बन्दर आय,
बजरंग बाला जी।।
ईतरी बात सुनी हनुमत ने,
नवल बाग में आयो,
जीण डाल नीचे सीता बैठी,
मुन्दडी दी छिटकाय,
बजरंग बाला जी।।
देख मुन्दडी जुरवा लागी,
कुन जिनावर लायो,
तुलसीदास आस रघुवर की,
नैना में नीर भर आय,
बजरंग बाला जी।।
पांच पाना रो बिडो बणायो,
भरी सभा में फिरवायो,
ऊण बिडा ने कोई नहीं झेले,
जद हनुमत लियो रे उठाय,
बजरंग बाला जी,
मारो बैडो लगा दिजो पार,
बजरंग बाला जी।।
गायक – प्रकाश जी माली।
प्रेषक – प्रदीप मेहता झाडोल।
94148 30301