रंगीलो फागणियो आयो रे,
रंगीलो फाग़णीयो आयो,
आज बिरज में फ़ाग रचियो है,
भक्तो रे मन भायो,
रंगीलो फाग़णीयो आयो।।
आज बिरज की हर गलियन में,
घर घर बजते चंग,
अररर घर घर बजते चंग,
उड़त है लाल गुलाल गगन में,
घोलियो केसरियो रंग,
रंग फागुन को है छायो,
रंगीलो फाग़णीयो आयो।।
राधा आई बरसाने से,
ले सखियो को संग अररर,
ले सखियो को संग,
ढूडण लगी राधा श्याम को,
लेके हाथ मे रंग,
सम्मुख साँवारियों पायो,
रंगीलो फाग़णीयो आयो।।
राधा जी को देख सांवरिया,
समझ गये तत्काल अररर,
समझ गये तत्काल,
तन सुख मन सुख,
सुदामा बुलाये,
बुला लिये सब ग्वाल,
श्याम ने राधा पे रंग डाल्यो,
रंगीलो फाग़णीयो आयो।।
आज बिरज को फ़ाग देखके,
हो गये भक्त निहाल,
अररर हुआ कन्हैय्या निहाल,
अपने रंग में रंगदो सांवरिया,
नजर कृपा की डाल,
दास ‘दिलबर’ यो जस गायो,
रंगीलो फाग़णीयो आयो।।
रंगीलो फागणियो आयो रे,
रंगीलो फाग़णीयो आयो,
आज बिरज में फ़ाग रचियो है,
भक्तो रे मन भायो,
रंगीलो फाग़णीयो आयो।।
गायक – कन्हैया वैष्णव हैदराबाद।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365