इंतज़ाम कर दिया है तुमने,
रोज़ी रोटी का,
विश्वकर्मा जी से नक्शा,
पास करा दे कोठी का।।
दूर से ही कोठी के,
दरवाजे पर दिखे गणेश,
जिनके दर्शन से मिट जाये,
घर के सभी कलेश,
ड्रॉइंग रूम और डायनिंग हाल भी,
हो उच्च कोटि का,
विश्वकर्मां जी से नक्शा,
पास करा दे कोठी का।।
कोठी के अंदर बाबा,
तेरा सुन्दर मंदिर हो,
सारे देवी देव साथ,
मंदिर के अंदर हो,
घर में रहे प्रकाश भी बाबा,
तेरी ज्योति का,
विश्वकर्मां जी से नक्शा,
पास करा दे कोठी का।।
एक रसोई अलग से हो,
जहाँ भोग रोज बन जाए,
तुझको भोग लगा पहले,
और बाद में हम मिल खाये,
आँगन में तुलसी का पौधा,
हो पत्ती छोटी का,
विश्वकर्मां जी से नक्शा,
पास करा दे कोठी का।।
खड़ी हो बाबा कोठी में,
एक लम्बी सी गाड़ी,
खिली नरसी लक्खा के,
दिल की फुलवारी,
शोर हमेशा मचा रहे,
घर पोते पोती का,
विश्वकर्मां जी से नक्शा,
पास करा दे कोठी का।।
इंतज़ाम कर दिया है तुमने,
रोज़ी रोटी का,
विश्वकर्मा जी से नक्शा,
पास करा दे कोठी का।।
गायक – श्री लखबीर सिंह जी लख्खा।
प्रेषक – मुकुल।
7042926250