कहाँ पार है दयालु,
मेरे गंगधर का,
सुध लेंगे कैलाशी,
धरो ध्यान पल का,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय।।
शीश चंद्रमा जटा मुकुट है,
गंगा को धारे,
नंदी पर विराजे भोले,
दुखडे है टारे,
केलाशी के द्वार नहीं,
कोई काम छल का,
सुध लेंगे केलाशी,
धरो ध्यान पल का,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय।।
अभिमानी की लंक जलाई,
रूप कपि का धरके,
रामलखन को पाताल से लाए,
अतुलित बल प्रभु करके,
भोले है दया के सागर,
हरे कष्ट जन का,
सुध लेंगे केलाशी,
धरो ध्यान पल का,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय।।
देवों के देव,
महादेव है निराले,
मन से जपलो शिव नाम,
काल को भी टाले,
नहीं काम कल का,
शैलजा के दिल का,
सुध लेंगे केलाशी,
धरो ध्यान पल का,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय।।
कहाँ पार है दयालु,
मेरे गंगधर का,
सुध लेंगे कैलाशी,
धरो ध्यान पल का,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय।।
Singer – Sampat Dadhich