लंकापति की इस दुनियाँ में,
होती ना कभी हार,
अगर हनुमान ना होते,
सात समंदर जल से भी वो,
होते ना कभी पार,
अगर हनुमान ना होतें,
अगर हनुमान ना होतें।।
तर्ज – मिलो न तुम तो।
बाण लगा लक्ष्मण के,
मूर्च्छा पल में आयी रे,
बैद नब्जिया हारे,
लागी ना कोई दवाई रे,
कौन उठाता द्रोणागिरी,
पर्वत का भारी भार,
अगर हनुमान ना होतें,
अगर हनुमान ना होतें।।
क्रोध से मेरे अब तक,
कोई भी बच नहीं पाया रे,
शीश गिरा धरणी पर,
सामने जो भी आया रे,
अकड़ के चलता मेरी इज्जत,
होती ना तारमतार,
अगर हनुमान ना होतें,
अगर हनुमान ना होतें।।
पलट के रख मैं देता,
आज विधि का हर विधान रे,
काल की मजाल क्या ‘योगी’,
हर लेता जो मेरे प्राण रे,
रावण अजर अमर ही रहता,
देखता ये संसार,
अगर हनुमान ना होतें,
अगर हनुमान ना होतें।।
लंकापति की इस दुनियाँ में,
होती ना कभी हार,
अगर हनुमान ना होते,
सात समंदर जल से भी वो,
होते ना कभी पार,
अगर हनुमान ना होतें,
अगर हनुमान ना होतें।।
Singer – Sampat Dadhich