देऊं बुलावा तनै शीतला,
सेठ मसाणी री,
खेल मेरे सिर आकै,
गुडगामें की रानी री।।
तर्ज- एक परदेसी मेरा दिल।
बैठा लाकै ध्यान तेरी,
मस्ती छाई ना,
सीला पड़ गया गात मेरी,
रोम करणाई ना,
काट दिए बंधन सारे,
पेशी ठाणी री,
खेल मेरे सिर आकै,
गुडगामें की रानी री।।
मनैं सै जरूरत तेरी,
एकबै मां बोलिए,
बंद पडै रास्तै तू,
आकै माई खोलिए,
पल में देवै बदल तू,
लिखी कहाणी री,
खेल मेरे सिर आकै,
गुडगामें की रानी री।।
तेरा दरबार माई,
राजी हौके आइए,
भूल चुक माफ कर,
छाती के लाइए,
गैल चौगनण माई तेरे,
चाहिए आणी री,
खेल मेरे सिर आकै,
गुडगामें की रानी री।।
कृष्ण जुएं आलै की,
तू बणिए हिमाती,
सोनीपत संतोष तेरी,
चौकी लगाती,
तनै ए मंजीत की,
कलम चलाणी री,
खेल मेरे सिर आकै,
गुडगामें की रानी री।।
देऊं बुलावा तनै शीतला,
सेठ मसाणी री,
खेल मेरे सिर आकै,
गुडगामें की रानी री।।
गायक – स्वर सम्राट कृष्ण जुंआ वाले।
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