कहते है सब ग्रंथ हो चाहे,
गीता या रामायण।
दोहा – राम कृष्ण दोऊ एक है,
अंतर नहीं निमेष,
उनके नयन गंभीर है,
इनके चपल विशेष।
कहते है सब ग्रंथ हो चाहे,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण,
राम का ध्यान लगा मन में,
पावन मूरत गढ़ लो,
कृष्ण के पथ पर चलके अपना,
जन्म सफल कर लो,
कहते हैं सब ग्रंथ हो चाहें,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण।bd।
बड़े भाग्य से मिला है हमको,
यह मानव का तन,
परहित परसेवा में करदो,
जीवन का अर्पण,
राम की भांति जन जन के,
कल्याण का व्रत लो,
कृष्ण की भांति नीति धर्म और,
न्याय का पथ लो,
कहते हैं सब ग्रंथ हो चाहें,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण।bd।
हो अन्याय जहां कहीं,
उसका प्रतिकार करो,
सुख अपना बांटो,
दुःख दुजो का स्वीकार करो,
राम में रमके दुःख में भी,
सुख का अनुभव कर लो,
कृष्ण में रमके सुख में मन को,
निरासक्त कर लो,
कहते हैं सब ग्रंथ हो चाहें,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण।bd।
कहते है सब ग्रंथ हो चाहे,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण,
राम का ध्यान लगा मन में,
पावन मूरत गढ़ लो,
कृष्ण के पथ पर चलके अपना,
जन्म सफल कर लो,
कहते हैं सब ग्रंथ हो चाहें,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण।bd।
गायक – शेखर सेन।
प्रेषक – डॉ सजन सोलंकी।
9111337188