किस धुन में बैठा बावरे,
किस मद में मस्ताना है,
सोने वाले जाग जा,
संसार मुसाफिर खाना है,
अरे सोने वालें जाग जा,
संसार मुसाफिर खाना है।।
क्या लेकर आया था जग में,
फिर क्या लेकर जाएगा,
मुठ्ठी बांधके आया जग में,
हाथ पसारे जाना है,
अरे सोने वालें जाग जा,
संसार मुसाफिर खाना है।।
कोई आज गया कोई कल गया,
कोई चंद रोज में जाएगा,
जिस घर से निकल गया पंछी,
उस घर में फिर नही आना है,
अरे सोने वालें जाग जा,
संसार मुसाफिर खाना है।।
सुत मात पिता बांधव नारी,
धन धाम यहीं रह जाएगा,
ये चंद रोज की यारी है,
फिर अपना कौन बेगाना है,
अरे सोने वालें जाग जा,
संसार मुसाफिर खाना है।।
कह भिक्षु यती हरि नाम जपो,
फिर ऐसा समय ना आएगा,
पाकर कंचन सी काया फिर,
हाथ मीज पछताना है,
अरे सोने वालें जाग जा,
संसार मुसाफिर खाना है।।
किस धुन में बैठा बावरे,
किस मद में मस्ताना है,
सोने वाले जाग जा,
संसार मुसाफिर खाना है,
अरे सोने वालें जाग जा,
संसार मुसाफिर खाना है।।
गायक – प्रकाश गाँधी।
प्रेषक – देवेंद्र।
9818195868