गर्मी बेजा पड़े है म्हारा श्याम,
लू चाले तपै तावडो,
थोड़ो खुद पर भी दीजो बाबा ध्यान,
मरुधर में थारो गांवड़ो।।
तर्ज – थासू विनती करा हां बारंबार।
दिनगे पहल्या न्हाय धोए के,
दही चूरमा खाओ,
करके कलेवो काकड़ियो,
खरबूजो भोग लगाओ,
नींबू पाणी को राखो इन्तजाम,
लू चाले तपै तावडो,
थोड़ो खुद पर भी दीजो बाबा ध्यान,
मरुधर में थारो गांवड़ो।bd।
सूरज स्यामी मन्दरयो है,
सीधी किरणा आवे,
मंड के माही बैठ्या बाबा,
गर्मी खूब सतावे,
एसी कूलर में रिजो सुबह शाम,
लू चाले तपै तावडो,
थोड़ो खुद पर भी दीजो बाबा ध्यान,
मरुधर में थारो गांवड़ो।bd।
दोपारा थे जीम झूठ के,
कीजो कुछ आराम,
कुछ आभूषण कम कर दीजो,
ढल जावे जब शाम,
‘गोलू’ ‘सरिता’ को सुणजो पैगाम,
लू चाले तपै तावडो,
थोड़ो खुद पर भी दीजो बाबा ध्यान,
मरुधर में थारो गांवड़ो।bd।
गर्मी बेजा पड़े है म्हारा श्याम,
लू चाले तपै तावडो,
थोड़ो खुद पर भी दीजो बाबा ध्यान,
मरुधर में थारो गांवड़ो।।
स्वर – नितेश शर्मा गोलू।
प्रेषक – रविन्द्र (श्री श्याम अरदास परिवार)