राहों में नजर रखना,
होठों पे दुआ रखना,
आ जाये प्रभु शायद,
दरवाज़ा खुला रखना।।
भूलूँ ना कभी पल भर,
मैं नाम तेरा भगवन,
चरणों में सदा अपने,
मेरे मन को लगा रखना,
राहो में नज़र रखना,
होठों पे दुआ रखना,
आ जाये प्रभु शायद,
दरवाज़ा खुला रखना।।
क्यों भव में भटकने की,
देते हो सजा सबको,
दुश्वार है पल भर भी,
तेरे रहम बिना रहना,
राहो में नज़र रखना,
होठों पे दुआ रखना,
आ जाये प्रभु शायद,
दरवाज़ा खुला रखना।।
क्षण भंगुर मानव तन,
बड़े भाग्य से पाया है,
कहीं पतित ना हो जाये,
प्रभु चरण शरण गहना,
राहो में नज़र रखना,
होठों पे दुआ रखना,
आ जाये प्रभु शायद,
दरवाज़ा खुला रखना।।
सुन दुर्लभ मानव तन,
बड़े भाग्य से पाया है,
कहीं व्यर्थ ना हो जाए,
सत्कर्म किये रहना,
राहो में नज़र रखना,
होठों पे दुआ रखना,
आ जाये प्रभु शायद,
दरवाज़ा खुला रखना।।
राहों में नजर रखना,
होठों पे दुआ रखना,
आ जाये प्रभु शायद,
दरवाज़ा खुला रखना।।
स्वर – चंद्र प्रकाश शर्मा उरई वाले।
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