मैया का जादू है,
सर चढ़कर बोलेगा।।
तर्ज – ये इश्क़ का जादू है।
भगत तू ना जइयो,
ना जइयो,
मैया वैष्णो के द्वार,
वहां पर बैठी है बैठी है,
हम सबकी पालनहार,
तू बन के बावरा कटरा की,
गलियों में घूमेगा,
मैया का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
जिसको आएगा बुलावा,
वो ही जा पाएगा,
उसको जाने से भला,
कोन रोक पाएगा,
जिसकी याद आए माँ को,
उसे ही बुलाती है,
झोलियाँ खुशियों से,
उसकी भर जाती है,
सच्ची है लगन तो संदेसा,
तेरे नाम आएगा,
मैया का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
माँ के दर्शन को,
जो यहां आते है,
भूलकर सारी दुनिया,
माँ के बन जाते है,
सारे रिश्तो से बढ़कर,
रिश्ता बन जाता है,
माँ के दर्शन से ही,
पाप कट जाता है,
दरबार की ऐसी शोभा है,
तू वही रम जाएगा,
मैया का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
माँ के मुखड़े पे,
लट ये घुंघराली,
ऐसे बिखरी जैसे,
घटा हो काली,
उठे जो पलके,
भोर हो जाती,
झुके जो पलके,
रात ढल जाती,
ममतामई चेहरा माँ का,
तू कश्मीर में देखेगा,
मैया का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
भगत तू ना जइयो,
ना जइयो,
मैया वैष्णो के द्वार,
वहां पर बैठी है बैठी है,
हम सबकी पालनहार,
तू बन के बावरा कटरा की,
गलियों में घूमेगा,
मैया का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
मैया का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा,
तुलजा का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा,
माँ वैष्णो का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा,
मैया का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।