चलो कैलाश माही,
शिवजी को ध्यावणा रे,
आज भोले को,
दिल से मनावणा रे।।
बाघम्बर का ओढ़ें दुसाला,
कानो में बिच्छू गले नाग काला,
गले रूंड की माल,
पहनावणा रे,
चलों कैलाश माही,
शिवजी को ध्यावणा रे।।
चंदा को अपने सिर पे सजाऐ,
अंग पे भोले भस्मी रमाएं,
भोले लागे गजब का,
सुहावणा रे,
चलों कैलाश माही,
शिवजी को ध्यावणा रे।।
भोले बाबा के चरणों में शीश झुकाए,
भोले बाबा हमारे दुखड़े मिटाएं,
आज खुशियों से झोली,
भरावणा रे,
चलों कैलाश माही,
शिवजी को ध्यावणा रे।।
चलो कैलाश माही,
शिवजी को ध्यावणा रे,
आज भोले को,
दिल से मनावणा रे।।
स्वर – संत श्री सुखराम जी महाराज।