झुक आई रे बदरिया सावण की,
सावण की मन भावन की,
झुक आयी रे बदरिया सावण की।।
सावण में उमंगयो मेरो मनवा,
आ तो भनक पड़ी है हरि आवन की,
झुक आयी रे बदरिया सावण की।।
नानी नानी बूंदन मेहरा बरसे,
आ तो दामिनी दमके झररावन की,
झुक आयी रे बदरिया सावण की।।
दादूर मोर पपीहा बोले,
आ तो कोयल शबद सुणावन की,
झुक आयी रे बदरिया सावण की।।
मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर,
आनंद मंगल गावण की,
झुक आयी रे बदरिया सावण की।।
झुक आई रे बदरिया सावण की,
सावण की मन भावन की,
झुक आयी रे बदरिया सावण की।।
स्वर – परमहंस डॉ श्री रामप्रसाद जी महाराज।
प्रेषक – केशव।