देवो के देव महादेवा,
मेरा शिव भोला भण्डारी है।।
जब सृष्टि में अंधकार हुआ,
तुने बिष का प्याला आन पिया,
सब देवों ने तुझे मान लिया,
तू निलकंठ त्रिपूरारी है।।
तेरी जटा से गंगा आई है,
और दूखियो की करी सहाईं है,
तेरी अजब निराली माया है,
तू भगतों का हितकारी है।।
तू शंकर डमरू वाला है,
देवो में देव निराला है,
तू देव बड़ा मतवाला है,
करें नन्दी की सवारी है।।
यूं कालरम आला बांगड़,
भी तेरी चरणों में छंद बणाव है,
तेरी महिमा नेहा गाव हैं,
चरणों में शिश झुकाव है।।
देवो के देव महादेवा,
मेरा शिव भोला भण्डारी है।।
स्वर – नेहा सिंह।
लेखक – राजेन्द्र बांगड़ / रविन्द्र भट्टी।
9896466917