फूलों से नित होता जिनका श्रृंगार है,
वो चक्की वाले बाबा का दरबार है,
भक्तो पर जो करते है नित उपकार है,
चक्की वालें बाबा का दरबार हैं।।
मूषक वाहन बैठ गजानन,
जिनकों चवर डुलाए,
सिया राम जी सम्मुख हो,
जिनको नित दर्श कराए,
सारे देवी देव करे मिल जय जयकार है,
चक्की वालें बाबा का दरबार हैं।।
दर पे बालाजी करते है,
जिनकी नित अगवाई,
एक तरफ है केला मां और,
दुजे कृष्ण कन्हाई,
सारे ग्रह जिनके चरणों के सेवादार है,
चक्की वालें बाबा का दरबार हैं।।
श्रावण माह में जब भक्तो पर,
किरपा बरसे भारी,
नगर भ्रमण पर निकले मेरे,
भोले शिव भंडारी,
मन दर्शन से भरे ना ऐसा श्रृंगार है,
चक्की वालें बाबा का दरबार हैं।।
फूलों से नित होता जिनका श्रृंगार है,
वो चक्की वाले बाबा का दरबार है,
भक्तो पर जो करते है नित उपकार है,
चक्की वालें बाबा का दरबार हैं।।
Singer & Lyrics – Shubham Sen