मेहंदी राचणी सोनी सी,
मंडाले मेरी माँ,
टाबरिया ने झुंझुनू,
बुलाले मेरी माँ,
मंडाले मेरी माँ,
टाबरिया ने झुंझुनू,
बुलाले मेरी माँ।।
देखे – कुण मांडी दादी हाथा में।
खूब जतन सू घोल के ल्यासु,
लाल सुरंगी हाथा रचास्यु,
तेरे दास की या आस,
पुरा दे मेरी माँ,
टाबरिया ने झुंझुनू,
बुलाले मेरी माँ।।
मेहन्दी की नहीं मांगु मण्डाई,
दे दिज्यो थारे मन की चाही,
सिर पे प्यार से तू हाथ,
फिरा दे मेरी माँ,
टाबरिया ने झुंझुनू,
बुलाले मेरी माँ।।
‘हर्ष’ ज्यु मेंहदी हाथां रचेगी,
टाबरिये सु माँ प्रीत बढ़ेगी,
तेरे लाल ने चरणा में,
बिठा ले मेरी माँ,
टाबरिया ने झुंझुनू,
बुलाले मेरी माँ।।
मेहंदी राचणी सोनी सी,
मंडाले मेरी माँ,
टाबरिया ने झुंझुनू,
बुलाले मेरी माँ,
मंडाले मेरी माँ,
टाबरिया ने झुंझुनू,
बुलाले मेरी माँ।।
गायक / प्रेषक – आयुष त्रिपाठी।
7237071909
लेखन – विनोद अग्रवाल ‘हर्ष’ जी।