अपने होंठों पे तेरा नाम,
सजा रखा है,
हमने आंखों में तुम्हे,
गुरूवर बसा रखा है।।
तर्ज – एक चहरे पे कई चहरे।
मन के मंदिर में भजन,
तेरा ही चलता रहे,
तेरी प्रतिमा से ओ गुरुवर,
दिल बहलता रहे,
हम है दीवाने तेरे,
बस तुझे याद करे,
भूल से तूने हमको गुरूवर,
भुला रखा है,
हमने आंखों में तुम्हे,
गुरूवर बसा रखा है।।
तू जो एक बार मिले,
ये शिकायत ये गीले,
हम सुनायेंगे तुम्हे,
गुरूवर बुरे हो या भले,
एक दरकार मेरी,
सुनलो सरकार मेरी,
‘दिनु’ दीपक बनाके दिल को,
जला रखा है,
हमने आंखों में तुम्हे,
गुरूवर बसा रखा है।।
अपने होंठों पे तेरा नाम,
सजा रखा है,
हमने आंखों में तुम्हे,
गुरूवर बसा रखा है।।
गायक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’
रचनाकार – दिनेश निम्बोला ‘दिनु’
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