सुमिरन करले बंदेया,
इस मोह माया विच,
कानू तू होया अंधेया।।
कर नेक कमाई वे,
सत्संग नित करले,
फिर फिक्र ना काई वे।।
छड विषय विकारा नू,
सच्चा इक नाम रब दा,
छड झूठ इशारा नू।।
बुरी संगत छड दे तू,
संता दे शरण जाके,
दिलों क्रोध नू कड दे तू।।
एहो वेला हथ आवना नी,
शीतल गिरी जपले,
फेर मुड़ के पावना नी।।
सुमिरन करले बंदेया,
इस मोह माया विच,
कानू तू होया अंधेया।।
गायक – उदमी बाघेला।
8094273572