तेरे आचरण को ही,
हमने अपनाया है,
ये दान धर्म करना,
हमें तुमने सिखाया है।।
एक रुपया और और एक ईंट,
सिद्धांत बनाया था,
सब एक समान है जग में,
संदेश फैलाया था,
इस अग्रवंश का जग में,
तूने नाम बढ़ाया है,
ये दान धरम करना,
हमें तुमने सिखाया है।।
माता महा लक्ष्मी ने,
तुम्हे बेटा मान लिया,
तेरे कुल पर मेरी कृपा,
रहे ऐसा वरदान दिया,
वरदान के कारण ही,
सौभाग्य ये पाया है,
ये दान धरम करना,
हमें तुमने सिखाया है।।
बस एक तमन्ना है,
जब फिर से जन्म मिले,
इस अग्रवंश में ही,
हम बनकर फूल खिले,
अब तक जीवन जैसे,
सेवा में बिताया है,
ये दान धरम करना,
हमें तुमने सिखाया है।।
राजेंद्र अग्रवाल,
बस इतनी आस करे,
कुण्डली में धाम बने,
जो हम प्रयास करें,
प्रिंस जैन ने भजनों का,
एक हार बनाया है,
ये दान धरम करना,
हमें तुमने सिखाया है।।
तेरे आचरण को ही,
हमने अपनाया है,
ये दान धर्म करना,
हमें तुमने सिखाया है।।
गायक व लेखक – प्रिंस शुभम नरेला।
सम्पर्क सूत्र – 7840820050