कुंदा नगर में,
ममलेश्वर महादेव बैठे है,
भगतों के सारे संकट,
वो मेट लेते है,
चढ़ा के जल यहां जो भी,
माथा टेक लेते हैं,
माथा टेक लेते हैं,
भगतों के सारे संकट,
वो मेट लेते है।।
तर्ज – तूफानों ने घेरा फिर भी।
सामने नंदी जी है विराजे,
चोखट पे गणपति गणराज है,
मारुति नंदन हनुमान भी,
बैठे लगाए है ध्यान है,
शीतला माता और,
नाग देव बैठे है,
भगतों के सारे संकट,
वो मेट लेते है।।
दर्शन को इनके आते नर नारी,
महिमा है इनकी देखो निराली,
दर्शन से इनके तो कल्याण है,
भरते सभी के ये भंडार है,
खाली ये झोली सबकी,
भर देते है,
भगतों के सारे संकट,
वो मेट लेते है।।
इनकी कृपा हर पल बरसती,
कुंदा नगर के हर परिवार में,
मित्रमंडल तेरे गुण है गाता,
‘अनुज’ भी जपता तेरा नाम है,
तेरी कृपा से हम सब एक रहते है,
भगतों के सारे संकट,
वो मेट लेते है।।
कुंदा नगर में,
ममलेश्वर महादेव बैठे है,
भगतों के सारे संकट,
वो मेट लेते है,
चढ़ा के जल यहां जो भी,
माथा टेक लेते हैं,
माथा टेक लेते हैं,
भगतों के सारे संकट,
वो मेट लेते है।।
गायक – अनुज बर्वे।