भक्ता की भीड़ चढ़ो धणी रामा,
अब थांकी मरजी काई,
देवरा का देव द्वारका रा राजा,
मैं आयो शरणा माई।।
गणपत गुरु मने सूद बूद दिज्यो,
सबद देवो सूरसती माई,
अजमल कंवर तिलक तंवरा का,
मैं थाने सिवरू रघुराई।।
पहली अर्जी लिखी आपने,
बा अर्जी सूनी नाही,
अबके हुक्म होयो धणिया को,
रामसागर नाबा ताई।।
घट घट कि थें जाणो वार्ता,
थाका से छानी नाई,
ओ तो वचन राख धणी रामा,
आप बीना दूजों नाई।।
पहली कारज सारीया सहज में,
ओ कारज काई कठिनाई,
सुभ दृष्टि कर देख ध्वजाबंद,
अब शरणों छोड़ूं नाई।।
लिखीया ने अणलिखीया कर दें,
अणलिखीया लिख दे साई,
कृपा करके कलम काड ले,
महर करों मारा रघुराई।।
चुक देख चंपो मत खावें,
मैं चुंकु पल पल माई,
मारी डोर तो थारा हाथ,
नाचूं नाच नचावें जाई।।
हुक्म होयो देवरा में आयो,
आय पड़ो शरणा माई,
शरण आया कि लाज राखजे,
हंसों हसेला जग माई।।
दिल्ली दखण बीच परचा दिना,
परचा दिया पल पल माई,
सब घट कला आप बहूनामी,
गोकुल दास सेवा माई।।
भक्ता की भीड़ चढ़ो धणी रामा,
अब थांकी मरजी काई,
देवरा का देव द्वारका रा राजा,
मैं आयो शरणा माई।।
गायक – खेमसिंह जी भूणाभाई।
8107991122