सांवरियो म्हारो,
भाव बिना नहीं रीझे,
साँवरियो म्हारो,
प्रेम बिना ना रीझे।।
ना कोई माने बात भजन की,
वेद पुराण पढीजै,
गुरु बिन ज्ञान ध्यान ना उपजै,
लाख जतन कर लीजै,
साँवरियो म्हारो,
प्रेम बिना ना रीझे।।
दुर्योधन रा मेवा त्यागिया,
कंचन थाल परोसे,
जाय विदुर घर छिलका खाया,
रुच रुच भोग लगीजै,
साँवरियो म्हारो,
प्रेम बिना ना रीझे।।
भिलणी रा बोर सुदामे रे चावल,
करमां री सुण लीजै,
खाटी छाछ खीचड़ो खायो,,
किण ने ओलमा दीजे रे,
साँवरियो म्हारो,
प्रेम बिना ना रीझे।।
प्रेम भाव रो भूखो बालो,
ऊंच नीच ना देखे रे,
दास भगत सतगुरु जी रे शरणे,
कान खोल सुण लीजे रे,
साँवरियो म्हारो,
प्रेम बिना ना रीझे।।
सांवरियो म्हारो,
भाव बिना नहीं रीझे,
साँवरियो म्हारो,
प्रेम बिना ना रीझे।।
गायक – स्वामी सच्चिदानंदआचार्य जी।
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
नोखा बीकानेर, 9024909170