हे बीरा म्हारा,
थोड़ी सबर कोई कर जातो,
बुरो हादसो टल जातो।।
रीस में रावण लात लगाई,
भक्त विभीषण छोटो भाई,
वो लंका छोड़कर नहीं जातो,
बुरो हादसो टल जातो।।
अरे कौरव पांडव दोनों लड़ाई,
कृष्ण जैसे समझाबा आई,
भाई दोनो में एक समझ जातो,
बुरो हादसो टल जातो।।
प्रहलाद ने भक्ति पकाई,
हिरण्यकश्यप के मन नहीं भाई,
वो राम नाम ने समझ जातो,
बुरो हादसो टल जातो।।
राजा दशरथ वन में जाई,
शब्द भेदी बाण चलाईं,
बेटा सु न्यारों नहीं जातो,
बुरो हादसो टल जातो।।
गुरु चेतन सुणो ऊंकार भाई,
मनुष्य जन्म नहीं मिले दुबारी,
सांवरिया के चरणों में नहीं जातो,
म्हारो सारो जन्म युही निकल जातो।।
हे बीरा म्हारा,
थोड़ी सबर कोई कर जातो,
बुरो हादसो टल जातो।।
गायक – भगवत सुथार।
प्रेषक – लोकेश गाडरी, खेमाणा।